I am deleting my poems. I am deleting my poems.
कभी दुल्हन की सेज सजाए, तो कभी महफिलों की रौनक बढ़ाए। कभी दुल्हन की सेज सजाए, तो कभी महफिलों की रौनक बढ़ाए।
घी में भुनती, रेत सी महीन सूजी की मर्म चुम्बन करती। घी में भुनती, रेत सी महीन सूजी की मर्म चुम्बन करती।
शून्यता...। शून्यता...।
अनकही कहानी...। अनकही कहानी...।